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Ram Lala Darshan : जाने रामलला ने पैर के नाखून से मस्तक तक क्या-क्या पहना है? सोना, चांदी, हीरा, पन्ना सभी से जड़े हैं उनके आभूषण

Ram Lala Darshan: अयोध्या के राम मंदिर में विराजित हुए रामलला का श्रृंगार बेहद ही अलौकिक है उन्हें 5 किलो सोने और कीमती रत्‍नों से जड़े दिव्‍य आभूषण पहनाए गए हैं. उनकी राजसी वेशभूषा भी सोने की जरी से बनाए गए हैं.

राजसी पोशाक दिव्य आभूषण और फूलों से सजे 5 साल के रामलला की पहली तस्वीर जब दुनिया के सामने आई तो हर किसी की आंखों में आंसू आ गए। प्राण प्रतिष्ठा के बाद अपने आसन पर विराजमान हुए। रामलला की आभा हर किसी की आंखें नाम कर गई।

मंदिर ट्रस्ट के अनुसार प्रभु राम की 200 किलो की प्रतिमा का श्रृंगार 5 किलो सोने के आभूषण से किया गया है।प्रभु राम को मस्तक से लेकर पैर के नाखून तक दिव्य आभूषणों से सजाया गया है। साथ ही रामलला ने सिर पर बेहद सुंदर और दिव्य मुकुट भी धारण किया है।श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने रामलला के श्रृंगार की पूरी लिस्ट जारी की है
वेद-शास्‍त्रों के आधार पर बनाए गए आभूषण

ट्रस्ट ने कहा है कि रामलला के इन दिव्या भूषणों का निर्माण आध्यात्मिक रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप शोध और अध्ययन के बाद किया गया है.

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इस शोध से जो बातें सामने आईं उसकी परिकल्‍पना के अनुसार यतींद्र मिश्र के निर्देशन में लखनऊ के अंकुर आनन्द की संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने ये आभूषण बनाए हैं.
रामलला ने कौन-कौन से आभूषण किए धारण

रामलला का मुकुट:

श्री राम का मुकुट उत्तर भारतीय परंपरा के अनुसार सोने, माणिक्य, हीरे और पन्ने से बने हुए हैं।मुकुट के ठीक बीचो-बीच भगवान सूर्य अंकित है।वही मुकुट के दाएं और मोतियों की लड़ियां भी पिरोई गई है।

तिलक:

भगवान के मस्तक पर उनके पारंपरिक मंगल तिलक को हीरे और मानिक से बनाया गया है.

स्‍वर्ण छत्र:

भगवान के प्रभामंडल के ऊपर स्वर्ण का छत्र भी लगाया गया है।

कुंडल:

मुकुट या किरीट के के अनुसार ही इस डिजाइन में भगवान के कानों के आभूषण भी बनाए गए हैं जिसमें मयूर की आकृतियां बनी है और यह भी सोने हीरे माणिक्य और पन्ने से सुशोभित है.

कण्ठाः

रामलाल के गले में अर्द्ध चंद्राकार रतन से जड़ित कण्ठा सुशोभित है जिसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित है और मध्य में सूर्य देव हैं। सोने से बना हुआ यह कण्ठा हीरे माणिक्य और पन्नों से जुड़ा हुआ है. कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियाँ लगाई गयी हैं.

कौस्तुभमणि:

भगवान के हृदय स्‍थल पर कौस्तुभमणि धारण कराया गया है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है. यह शास्त्र-विधान है कि भगवान विष्णु तथा उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं. इसलिए इसे धारण कराया गया है.

पदिकः

कंठ से नीचे तथा नाभि कमल से ऊपर पहनाया गया हार पदिक कहलाता है। इसका देवता के श्रृंगार में विशेष महत्व होता है।यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट लगाया गया है.

वैजयन्ती या विजयमालः

यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लंबा और स्वर्ण से बना हुआ हार है जिसमें कहीं-कहीं माणिक्य होते हैं।इस विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है।इसमें वैष्णव परंपरा के समस्त मंगल चिन्ह सुदर्शन चक्र पदम पुष्प शंकर और मंगल कलश दर्शाया गया है। इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमशः कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं.

कमर में कांची या करधनीः

भगवान के कमर में करधनी भी पहनाई गई है जिसे रतन से बनाया गया है। इसमें प्रकृतिक सुषमा का अंकन है और हीरे मानिक के मोतियों और पन्ने से यह अलंकृत है. पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पांच घण्टियां भी इसमें लगायी गयी है. इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं.

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भुजबन्ध या अंगदः

भगवान के दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रतन से जड़े हुए भुजबन्ध पहनाये गये हैं.

कंकण/कंगनः

दोनों ही हाथों में रत्नजडित सुन्दर कंगन पहनाये गये हैं.

मुद्रिकाः

बाय और दाएं दोनों हाथों में मुद्रिकाओं में रत्नजडित मुद्रिकाएं सुशोभित हैं, जिनमें से मोती लटक रहे हैं.

पैरों में छड़ा और पैजनियां:

5 साल के रामलला के पैरों में सोने का छड़ा और पैजनियां पहनाई गई हैं.

धनुष-बाण :

भगवान के बाएं हाथ में स्वर्ण का धनुष है जिसमें मोती माणिक्य और पन्ने की लटकने लगी हैं. इसी तरह दाहिने हाथ में स्वर्ण का बाद धारण किया हुआ है

वनमाल:

भगवान के गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गयी है, जिसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है.

कमल:

भगवान के चरणों के नीचे जो कमल सुसज्जित है, उसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गयी है.