Ram Mandir Ayodhya : राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के दौरान आखिर क्यों एक पुजारी ने अचानक अपना चेहरा ढक लिया था, जानिए क्या था वजह।
प्राण प्रतिष्ठा का लाइव वीडियो पूरे देश विदेश में देखा गया और इस दौरान एक ऐसा पल भी सामने आया कि जब प्राण प्रतिष्ठा की वीडियो के दौरान पीएम मोदी पूजा अर्चना कर रहे थे तभी मंत्र उच्चारण भी हो रहे थे, इसी बीच एक आचार्य ने अपना मुंह कपड़े से ढक लिया. इस दौरान इस वीडियो को सभी ने देखा और अब लोग यह पूछ रहे हैं कि आखिर मंत्र उच्चारण कर रहे आचार्य ने अचानक अपना मुंह क्यों ढक लिया है.
अयोध्या के मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है और अब लाखों लोग श्री राम के दर्शन करने रोज पहुंच रहे हैं और लोग उन्हें निहार भी रहे हैं. भगवान श्री राम 5 वर्ष के बालक के रूप में गर्भ ग्रह में स्थापित किए गए हैं इसलिए उनका श्रृंगार, भोग और आरती आदि भी उसी बालक स्वरूप में किया जा रहा है.
खासतौर पर भोग पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है और उसमें मिष्ठान्न आदि जैसे भोग प्रमुखता से भगवान को लगाए जा रहे हैं. प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी रामललाल को तरह-तरह के व्यंजनों के भोग लगाए गए थे.
श्री रामलला सरकार के भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर से सीधा प्रसारण
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 22, 2024
LIVE Webcast of Prana Pratishtha Mahotsav of Shri Ramlalla Sarkar, from Shri Ram Janmabhoomi Mandir complex. https://t.co/YL3bPjrwcX
प्राण प्रतिष्ठा का यह समझ पूरे देश भर में लाइव देखा गया इसी दौरान एक ऐसा पल भी सामने आया जब एक आचार्य ने अपना मुंह कपड़े से ढक लिया और अब लोगों के मन में यह उत्सुकता जाग रही है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया? असल में जब प्राण प्रतिष्ठा का लाइव वीडियो आप देखेंगे तो 52:01 पर आपको एक खास बात नजर आएगी.
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान उडुपी के पेजावर मठ के मठाधीश इसके अनुष्ठान कराने में शामिल रहे थे. अनुष्ठान के विधियां कराते-कराते एक समय ऐसा आया कि जब उन्होंने अपने मुंह को पूरी तरह के कपड़े से ढंक लिया. दरअसल, पूजा विधि के दौरान जब रामलला को नेवैद्य भोग समर्पित किया जा रहा था, तब पेजावर मठ के मठाधीश, स्वामी विश्वप्रसन्ना तीर्थ ने मुंह ढंक लिया था.
दरअसल, उस दौरान जब प्रभु को नेवैद्य लगाया जा रहा था तो उनके मुंह ढंकने के पीछे एक शास्त्रोक्त कारण है. सनातन धर्म के अनुसार जब नैवेद्य यानी कि भोग लगाया जाता है तो उसे पर किसी की भी दृष्टि नहीं जानी चाहिए ऐसा इसलिए कहा जाता है कि भगवान को लगाने वाला भोग बहुत शुद्ध होता है भोग लगाते समय उसे देखकर किसी के भी मन में लालच ना आ जाए इसलिए भोग की पवित्रता बनाए रखने के लिए अपना मुंह ढक लेना जरूरी होता है।
यही वजह है कि मंदिरों में भी भोग लगाते समय कपाट को बंद कर दिया जाता है या फिर पर्दा लगा दिया जाता है। ये परंपरा माधव संप्रदाय के मंदिरों-मठों और इसके अनुयायी संतों के द्वारा पालन करते हुए अधिकतर दिखायी देती है. हालांकि देश के लगभग हर मंदिर में जब भी भोग लगाया जाता है तो उस दौरान कपाट बंद होते हैं या पर्दा गिराया जाता है. मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर, बिहारी जी मंदिर में श्रद्धालुओं ने ऐसी परंपराएं देखी हैं, जहां भोग अर्पण करते