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Article 370 Review : यामी की अदाकारी की हो रही है हर जगह तारीफ, अहम विषय पर बनी संवेदनशील फिल्म

फिल्म ‘उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक’ का निर्देशन कर चुके आदित्य धर ने सत्य घटना पर आधारित एक और फिल्म ‘आर्टिकल 370’ का निर्माण किया है। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने की घटनाओं को आम जनता जानती है लेकिन इस धारा को हटाने से पहले क्या-क्या तैयारी की गई थी इस फिल्म में यही दिखाया गया है। यह फिल्म जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने जम्मू कश्मीर और लद्दाख दोनों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने और प्रधानमंत्री कार्यालय के टॉप सीक्रेट फैसलों पर आधारित है।

इस फिल्म की कहानी एक खुफिया अधिकारी जूनी हक्सर से शुरू होती है। जूनी हक्सर को आतंकवादी संगठन के युवा कमांडर बुरहान वानी के ठिकाने के बारे में सब पता चल जाता है और वह उसे मुठभेड़ में मार देती है। इस घटना से कश्मीर में काफी आक्रोश जाग जाता है और सभी पत्थर बाजी करने लगते हैं और इस घटना का जिम्मेदार जूनी हक्सर को माना जाता है और उसे दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया जाता है।

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जैसे ही सरकार अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की दिशा में आगे बढ़ती है पीएमओ सचिव राजेश्वरी स्वामीनाथन अपनी एक टीम का गठन करती है और कश्मीर में एनआईए ऑपरेशन का नेतृत्व करने के लिए जूनी हक्सर को नियुक्त करती है। जूनी हक्सर घाटी में शांति और एकता बनाए रखने की यात्रा में भ्रष्ट स्थानीय नेताओं और उग्रवादियों द्वारा उत्पन्न बाधाओं से होकर गुजरती है।

इस फिल्म की कहानी को 6 अध्यायों में डिवाइड किया गया है जिसमें से पहला अध्याय एक आतंकवादी संगठन के युवा कमांडर बुरहान वानी से जुड़ा हुआ है। 2016 में जिसकी मौत के बाद घाटी में काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे और पत्थर बाजी भी हुई थी। इसके बाद पीएमओ सचिव राजेश्वरी स्वामीनाथन हरकत में आ गई।कहानी फिर उसे समय तक पहुंचती है जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाता है। इसके बाद भी स्थिति ज्यादा नहीं बदलती और 2019 में पुलवामा आतंकी हमला हुआ, जिसके बाद केंद्र सरकार हरकत में आई और जम्मू कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने का फैसला लिया।

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इस फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने से पहले कैसे जम्मू कश्मीर संविधान की जांच की थी। उन खामियों की पहचान भी की जिससे अनुच्छेद 370 को निरस्त करने में मदद मिली। एक पुराने सरकारी पुस्तकालय से प्राप्त 1954, 1958 और 1965 के दस्तावेजों से महत्वपूर्ण चूक का पता चला, जिससे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को काफी पहले हटाया जा सकता था। इस फिल्म की कहानी आदित्य धर और मोनल ठाकुर ने मिलकर लिखी है। फिल्म के निर्देशक आदित्य सुहास संभाले ने फिल्म की कहानी के जरिए देशभक्ति की उत्तम भावनाओं को पर्दे पर पूरी तरह दिखाया है।

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फिल्म की कहानी मुख्य रूप से दो किरदार जूनी हस्कर और पीएमओ सचिव राजेश्वरी स्वामीनाथन के इर्द-गिर्द घूमती है। जूनी हस्कर की भूमिका यामी गौतम निभा रही हैं जबकि पीएमओ सचिव राजेश्वरी स्वामीनाथन की भूमिका प्रियामणि ने निभाई है प्रधानमंत्री की भूमिका में अरुण गोविल और गृह मंत्री की भूमिका में किरण करमारकर दिखाई दे रहे हैं। फिल्म के बाकी कलाकारों में राज जुत्शी, सुमित कौल, वैभव तत्ववादी, स्कन्द ठाकुर और इरावती हर्षे ने अपनी अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश की है। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी, संकलन, बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है।