इतिहास

Mahabharata Rules of Pandavas : जानिए द्रोपदी के साथ रहने पर पांडवों को किन नियमों का करना पड़ता था पालन, नियम उल्लंघन करने पर मिलती थी यह सजा

महाभारत के अनुसार द्रौपदी राजा द्रुपद की बेटी थी और उनकी शादी पांडवों से हुई थी। कौरवों द्वारा आयोजित एक हुए के खेल में पांडवों ने द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया था जिसके बाद पांडव यह दांव हार गए थे जिसके बाद दुशासन ने द्रौपदी को भरी सभा में अपमानित भी किया था। द्रोपदी के चरित्र के यह वह पहलू हैं जिनके बारे में अधिकतर लोग जानते हैं लेकिन द्रोपदी का एक आदर्श किरदार भी था जो बहुत ही कम लोग जानते हैं

आपको बता दे की द्रोपदी के साथ रहने के लिए पांडवों को भी कड़े नियमों का पालन करना पड़ता था और अगर कोई इस नियम को तोड़ता था तो उसे 1 साल तक देश के बाहर रहने का दंड दिया जाता था। यह दंड एक बार अर्जुन को भी भुगतना पड़ा था।द्रोपदी के विषय में वैसे तो सभी लोग जानते हैं। अर्जुन ने स्वयंवर की शर्त को पूरा करके द्रौपदी से शादी की थी लेकिन जब वह अपनी मां कुंती के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा देखो तुम्हारे लिए कितना सुंदर फल लाया हूं कुंती ने कहा तुम पांचो भाई बांट लो लेकिन जब उनकी दृष्टि द्रौपदी पर गई तो कुंती उलझन में पड़ गई इस समय श्री कृष्णा वहां पहुंचे और उन्होंने कुंती को द्रोपदी के पूर्व जन्म की बात बताई।

श्री कृष्ण ने बताया कि द्रौपदी ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शिव की तपस्या करके वरदान मांगा था कि उन्हें अगले जन्म मेंधर्मपरायण, बलवान, श्रेष्ठ धनुर्धर, रुपवान और धैर्यवान पति मिले।

यह पांचो अच्छा एक ही व्यक्ति में नहीं हो सकते थे इसलिए शिव ने उन्हें वरदान दिया कि उनके पांच पति होंगे यह भी कहा जाता है कि द्रौपदी ने तो शिव जी से 14 गुण बताए थे लेकिन शिव जी ने यह वरदान देने से मना कर दिया था इसके बाद उन्होंने पांच गुना वाले पति को मांगा था।

यह बड़े ही आश्चर्य की बात मानी जाती है कि द्रौपदी किस तरह से अपने पांचों पतियों के साथ समान प्रेम भाव और व्यवहार रखती थी और द्रौपदी को लेकर कभी पांडवों में आपसी विवाद क्यों नहीं हुआ।

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इसके पीछे का कारण यह है कि पांडवों ने नियम भी बना रखे थे द्रौपदी कभी भी एक साथ पांचो भाइयों के पास नहीं रह सकती थी।एक भाई द्रोपदी के साथ 1 वर्ष तक ही रहता था इसके बाद द्रौपदी दूसरे भाई के साथ रहती थी इस क्रम में द्रौपदी पांचो भाइयों के साथ रहती थी।

इसमें एक नियम यह भी था कि जब एक भाई द्रौपदी के साथ रहेगा तब दूसरा भाई द्रौपदी के कक्ष में प्रवेश नहीं करेगा।जो इस नियम का उल्लंघन करेगा उसे एक साल तक वन में रहना होगा। इस नियम के कारण दौपदी अपने सभी पतियों के साथ समान प्रेम भाव रख पाती थी और भाईयों के बीच विवाद नहीं होता था।