Saina Nehwal Birthday : ब्राउन बेल्ट साइना नेहवाल ने इस तरह बैडमिंटन में बनाई अपनी पहचान
देश की पहली और एकमात्र खिलाड़ी जो बैडमिंटन में वर्ल्ड नंबर वन प्लेयर साइना नेहवाल आज अपना 33 वा बर्थडे मना रही हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बचपन में साइना नेहवाल का बैडमिंटन मैं नहीं बल्कि जूडो कराटे को अपना करियर बनाना चाहती थी । मां का सपना पूरा करने के लिए बैडमिंटन खिलाड़ी बनी साइना वर्तमान समय में एक के बाद एक बैडमिंटन में कीर्तिमान रचने के बाद देश की स्टार बैडमिंटन मैं सुमार हो गई।
साइना नेहवाल का जन्म 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार जिले में हुआ था। साइना के पिता हरवीर सिंह चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय में हैदराबाद में कार्यरत है। साइना नेहवाल की मां उषा स्टेट लेवल के बैडमिंटन चैंपियन रही थी।
साइना नेहवाल ने अपनी स्कूल की पढ़ाई हरियाणा के हिसार से शुरू की, लेकिन अपने पिता के ट्रांसफर के चलते उन्हें स्कूल बदलना पड़ा था। साइना नेहवाल ने 12 वीं हैदराबाद के संत एनस कॉलेज मेहिदपत्नाम से किया था। साइना नेहवाल ने पढ़ाई के साथ साथ कराटे भी सिखा था उन्हें इसमें ब्राउन बेल्ट मिला हुआ है।
साइना नेहवाल ने अपने करियर में 24 अंतर्राष्ट्रीय टाइटल जीते हैं। जिसमें 10 सुपर सीरीज भी शामिल है। साल 2015 में वह महिला सिंगल्स में वर्ल्ड नंबर वन बनी थी।और ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनी थी। उनसे पहले मेंस सिंगल्स में केवल प्रकाश पादुकोण ही नंबर वन बन पाए थे।
साइना नेहवाल ने 14 दिसंबर 2018 में बैडमिंटन खिलाड़ी परुपल्ली कश्यप से शादी की है।
2003 में हुए ’जूनियर सीजेक ओपन’ में साइना ने पहला टूर्नामेंट खेला और इसमें जीत भी हासिल की। 2004 में हुए ’कॉमनवेल्थ युथ गेम्स’ का आयोजन हुआ था। साइना ने यहां मलेशियाई खिलारी म्यूच्यू वोंग को मात देकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। स्वर्ण पदक जीतने का जश्न मनाने की जगह साइना ने फाइनल में जाने के लिए कठिन परिश्रम शुरू कर दिया।
साइना नेहवाल ने अपने प्रतिद्वंदी को हराने के बाद और देश को 38 व स्वर्ण पदक जीताया था।इसके बाद 2005 में ‘एशियन सैटेलाइट बैडमिंटन टूर्नामेंट’ में साइना ने फिर जीत हासिल की। जिसे उन्होंने 2006 में भी कायम रखा। साल 2006 में साइना मात्र 16 साल की उम्र में 4- स्टार टूर्नामेंट- फिलीपींस ओपन में जीत हासिल करके सबसे कम उम्र की एशियाई खिलाड़ी एवं पहले भारतीय खिलाड़ी बनी।
साल 2008 में नौवें नवंबर की जापानी खिलाड़ी सयाका सातो को हराकर विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप अपने नाम की और ये खिताब पाने वाले पहली खिलाड़ी बनी। साल 2009 में साइना ने अपने जबरदस्त खेल का प्रदर्शन करते हुए ‘इंडोनेशिया ओपन’ में जीत हासिल की, और ऐसा करने वाले पहली भारतीय खिलाड़ी बनी। साइना नेहवाल को भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया इसके अलावा उन्हें मंगलायतन यूनिवर्सिटी द्वारा डोक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
साइना नेहवाल कॉमनवेल्थ गेम्स से स्वर्ण पदक लेने वाली पहली महिला थी। यह प्रतियोगिता 2010 में नई दिल्ली, भारत में थी। भारतीय खिलाड़ी इस समय बहुत दबाव में थी, क्योंकि उनका स्वर्ण पदक लाखों लोगों के समर्थन पर निर्भर था।
साइना नेहवाल ने साल 2012 के लंदन ओलंपिक में इतिहास रचा था, क्योंकि वह पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी थी जो ओलंपिक में कांस्य पदक जीती थी। उन्होंने डच याओ जी को 21-15,22-20 सेमी फाइनल में हराया और कांस्य पदक अपने नाम कर लिया था।
चीनी बैडमिंटन खिलाड़ी अविश्वसनीय रूप से प्रतिभागी प्रतिभाशाली होते हैं। उन्हें हराना थोड़ा मुश्किल होता है। साइना नेहवाल ने जापान के एकेन यामेंग्यूची को चीन ओपन सुपर सीरीज में हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया था।
रजत पदक जीतने और 2015 में बी डब्ल्यू एफ(BWF) विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जाने के कारण साइना नेहवाल ने भारत की पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में एक बड़ा इतिहास रचा। हैदराबाद से जकार्ता फाइनलिस्ट को कैरोलिना मारिन में एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा।

साइना नेहवाल को साल 2016 में भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान यानी पद्मभूषण दिया गया। 2009 में उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड भी दिए गए। शटलर को 2010 में एक पद्मश्री भी मिला। कई भारतीय किशोरों ने बैडमिंटन को लोकप्रिय बनाने और लोगों को खेल के लिए प्रोत्साहित करने का श्रेय साइना नेहवाल को दिया।
इस तरह की खबरें और पढ़े 👇