लता खरे : पति की जान बचाने के लिए 60 की उम्र में साड़ी में दौड़ा था मैराथॉन, जीता था पहला पुरस्कार
कहते हैं जब बात पति की आती है एक औरत यमराज से भी लड़ जाती है. हमारे देश में अक्सर लोग सावित्री की कहानी सुनाते हैं कि सावित्री ने अपने पति के लिए यमराज तक से लड़ाई कर लिया था. सावित्री यमराज अपने पति के प्राण छीन के लाई थी. एक ऐसे ही सावित्री की कहानी हम आपको बताने वाले हैं

हम आपको आज एक ऐसी औरतों के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने अपने पति की जान बचाने के लिए मैराथन में दौड़ लगाया और सिर्फ दौड़ ही नहीं लगाया बल्कि उन्होंने यह मैराथन जीता भी.
आपको सुनकर बहुत हैरानी होगी कि हम आज आपको जिस महिला के बारे में बताने वाले हैं उसकी उम्र 65 साल है. यह घटना साल 2014 की है। 60 वर्ष की होने के बावजूद लता खरे नाम की यह महिला 3 किलोमीटर लंबी मैराथन दौड़ ना केवल दौड़ी बल्कि उसमें प्रथम भी आयी । आज के समय में मैराथन दौड़ की बात निकलते ही अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों के पसीने छूट जाते हैं। आज के समय में यंग लोग भी सारे सुख सुविधा होने के बाद भी मैराथन जीत नहीं पाते हैं. लेकिन लता खरे ने 60 साल की उम्र में यह मैराथन जीतकर एक मिसाल कायम कर दिया.
महाराष्ट्र की रहने वाली लता खरे ने बताया कि उसने मैराथन में हिस्सा लेने का विचार इसलिए किया क्योंकि उसे ₹5000 की बहुत जरूरत थी।उनके पति की तबीयत बहुत खराब थी और इलाज के लिए उसे ₹5000 की जरूरत थी। इसी समय कहीं से लता ने मैराथन दौड़ का विज्ञापन देखा और उसी समय ठान लिया कि इस दौड़ में दौड़ कर ही वे अपने पति के लिए प्रथम क्रमांक प्राप्त करके पैसों का इंतजाम कर लेंगी।
लता ने दौड़ने का मन बना लिया और वह इस मैराथन में दौड़ी भी. लता खरे साड़ी पहनकर और हवाई चप्पल पहनकर इस मैराथन में दौड़ी. उन्होंने इस मैराथन में यह सोच कर दौड़ लगाया कि मुझे मेरे पति को बचाना है. उनकी आंखों के सामने सिर्फ उनके पति का चेहरा था.
3 किलोमीटर लंबे इस मैराथन में दौड़ते समय उनका चप्पल भी टूट गया लेकिन उन्होंने हार नहीं माना. लता से जब पूछा गया कि आप इस मैराथन में कैसे जीती तो उन्होंने कहा कि मेरे सामने बस मेरे पति का चेहरा था और मुझे किसी तरह अपने पति को बचाना था. बस यही सोचकर मैं इस मैराथन में दौड़ी और अपने पति को बचा लिया.