अपने आलोचकों पर फिर बरसीं कंगना, अंग्रेजों द्वारा किए गए अनगिनत अपराधों पर कहीं ये बड़ी बातें।
फिल्म इंडस्ट्री की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री और हाल ही में पद्मश्री से सम्मानित कंगना राणावत हमेशा अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बनी रहती है। हाल ही में कंगना के बयान के बाद पूरे देश में उनकी आलोचना हो रही है। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि साल 1947 में देश को मिली आजादी भीख के समान थी। वास्तव में देश को साल 2014 में आजादी मिली है। पद्मश्री से नवाजे जाने के बाद ही कंगना राणावत के इस बयान पर लोग जमकर निशाना साध रहे हैं। एक तरफ पद्मश्री वापस लेने और यहां तक की गिरफ्तारी की भी मांग कर रहे हैं।

कंगना राणावत ने अपने दिए गए बयान पर एक बार फिर अपनी सफाई पेश की है। कंगना ने अपने बयान में कहा है कि अंग्रेजों की अनगिनत अपराध के लिए आजाद भारत में मुकदमा क्यों नहीं चला? अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि यदि हम भारत में किए गए अनगिनत अपराध के लिए ब्रिटिश हुकूमत को जिम्मेदार नहीं ठहराते हैं तब हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान नहीं कर रहे हैं। शनिवार को दिए गए बयान में कंगना ने यहां तक कह दिया था कि कोई उन्हें 1947 में मिली आजादी के जंग के बारे में बताएगा तो वह माफी मांगेंगे और साथ ही पद्म श्री सम्मान भी लौटा देंगे।
कंगना राणावत ने रविवार की सुबह सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर करते हुए विपक्षी पार्टी और अपने बयान की आलोचना करने वाले लोगों पर एक बार फिर हमला बोला है। ब्रिटिश मीडिया कंपनी बीबीसी के 2015 के आर्टिकल का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कंगना लिखती है कि बीबीसी के द्वारा प्रकाशित इस लेख में साफ तौर पर लिखा है कि ब्रिटेन भारत के लिए कोई प्रतिपूर्ति नहीं करता है। गोरे उपनिवेशवादी या उनके हमदर्द आज के जमाने में इस तरह की बकवास से क्यों और कैसे दूर हो सकते हैं?
कंगना राणावत आगे अपने पोस्ट में लिखती है कि एक इंग्लिश श्वेत व्यक्ति सिरिल रैडक्लिफ, जो पहले भारत कभी नहीं आए थे। लेकिन विभाजन की रेखा को खींचने के लिए पांच सप्ताह के अंदर ही अंग्रेजों ने उन्हें भारत बुला लिया था। कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ही उस समिति के मेंबर थे जिममें अंग्रेज विभाजन की रेखा की शर्ते रख रहे थे। जिसका यह परिणाम हुआ कि दस लाख लोग काल के गाल में समा गए। क्या दुखद रूप से मरने वालों को आजादी मिली?