सबसे बड़ी पार्टी BPF लेकिन सत्ता से दूर
दरअसल बीजेपी ने BTC पर 17 वर्षों से काबिज बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) का वर्चस्व तोड़ दिया है. हालांकि 40 सीटों वाली काउंसिल में सबसे ज्यादा सीटें BPF को ही आई हैं लेकिन सत्ता उसके हाथ से छिन गई है. BPF को 17 सीटें मिलीं तो वहीं UPPL को 12, बीजेपी को 9. गण शक्ति पार्टी को 1 सीट मिली है. बीजेपी, UPPL और गणशक्ति पार्टी मिलकर बीटीसी की सत्ता पर काबिज हो गए हैं.
एक साल से चल रही थी प्लानिंगऐसा लग रहा है कि काउंसिल से BPF को बाहर करने की तैयारी पिछले एक साल से चल रीह थी. बीजेपी रफ्तार के साथ बोडो संधि को क्लीयर किया. बीजेपी इसे ऐतिहासिक बताया और कहा कि इससे दशकों से चला आ रहा सशस्त्र संघर्ष समाप्त होगा. ये शांति समझौता प्रमोद बोरो की अगुवाई वाले ऑल इंडिया बोडो स्टूडेंट्स यूनियन और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के धड़ों के साथ किया गया था. ये जनवरी 2020 की बात है. इस संधि पर हस्ताक्षर के बाद से ही प्रमोद बोरो राज्य में चर्चा में आ गए थे. फिर बीजेपी की तरफ से भी प्रोजेक्ट किया गया कि ये संधि सिर्फ बोरो की वजह से हो पाई है.
चुनाव में प्रमुख चेहरे बनकर उभरे प्रमोद बोरो
धीरे-धीरे प्रमोद बोरो का प्रभाव बढ़ता गया और फिर उनकी पार्टी UPPL ने चुनाव में 12 सीटों पर बाजी मारी. BPF भले ही सबसे बड़ी पार्टी हो लेकिन अब वह इस क्षेत्र की सत्ता से दूर हो गई है. माना जा रहा है कि इस चुनाव में जीत बीजेपी को विधानसभा चुनाव में भी मदद पहुंचाएगी.
(Jayanta Kalita की पूरी स्टोरी यहां क्लिक कर पढ़ी जा सकती है.)
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