सूर्य में होने वाले इस बदलाव के कारण सूरज की किरणे बहुत कम समय के लिए पृथ्वी पर पड़ती हैं. बता दें कि आज सूर्य की मौजूदगी करीब 8 घंटे रहती है जबकि इसके अस्त होने के बाद लगभग 16 घंटे की रात होती है. इस खुगोलीय घटना के बाद ठंड भी काफी ज्यादा बढ़ जाती है.
इस खुगोलीय घटना के बाद पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी काफी कम समय के लिए पड़ती है जिसका असर ठंड पर भी पड़ता है. हालांकि सूर्योदय और सूर्यास्त का सही समय टाइम जोन और भौगोलिक स्थिति पर भी निर्भर करता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये खुगोलीय घटना हर साल होती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी अपने घूर्णन के अक्ष पर लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई होती है. पृथ्वी के झुकाव के कारण हर गोलार्ध को पूरे साल अलग अलग मात्रा में ही सूरत की रोशनी मिल पाती है.इसे भी पढ़ें :- बृहस्पति और शनि ग्रह आज होंगे बेहद करीब, 800 साल बाद दिखेगा अनोखा नजारा दिसंबर में सूरज की किरणें भूमध्य रेखा के दक्षिण की ओर मकर रेखा के साथ पहुंचती हैं. यही कारण है कि उत्तरी गोलार्ध में यह दिसंबर संक्रांति और दक्षिणी गोलार्ध में इसे जून संक्रांति के रूप में जाना जाता है.
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