भारत-सऊदी की इकोनॉमी सुधरने से दूसरे देशों को फायदा
सऊदी अरब के राजदूत डा. सऊद बिन मोहम्मद अल साती ने कहा कि भारत में हमारी निवेश योजनाएं सही रास्ते पर हैं. दोनों देश कई क्षेत्रों में निवेश की प्राथमिकताएं तय करने की बातचीत में लगे हैं. इस दौरान साती ने महामारी (Pandemic) से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए किए गए भारत सरकार (Indian Government) के उपायों की सराहना की. उन्होंने कहा कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था सुधरने से क्षेत्र के दूसरे देशों की इकोनॉमी को मदद मिलेगी. भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी और दक्षिण एशिया (South Asia) की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसमें महामारी के मौजूदा संकट (Coronavirus Crisis) के असर से उबरने की पूरी क्षमता है.
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साती ने भारतीय थल सेना (Indian Army) प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के हाल में किए गए सऊदी अरब के दौरे का जिक्र किए बिना कहा कि 2019 में सामरिक भागीदारी परिषद के गठन से दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते खुले हैं. इसमें प्रतिरक्षा, सुरक्षा और पर्यटन (Tourism) के क्षेत्र भी शामिल हैं. बता दें कि जनरल नरवणे पिछले सप्ताह वहां गए थे. यह भारतीय सेना के किसी प्रमुख की सऊदी अरब की पहली यात्रा थी. सामरिक भागीदारी परिषद का गठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अक्टूबर 2019 की रियाद यात्रा के समय किया गया था. यह परिषद दोनों पक्ष के बीच रणनीतिक भागीदारियों में प्रगति की समीक्षा करती है.
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सऊदी अरब में किए गए श्रम सुधारों का भी किया जिक्र
सऊदी राजदूत ने कारोबारी भागदीरी को लेकर सऊदी पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (PIF) की ओर से रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) में करीब 1.3 अरब डॉलर और रिलायांस जियो (JIO) प्लेटफार्म्स में 1.5 अरब डॉलर के निवेश के फैसलों का जिक्र किया. तेल कंपनी सऊदी अरामको भी भारत में पेट्रोलियम क्षेत्र में निवेश के लिए तैयार है. वह रिलायंस इंडस्ट्रीज के कारोबार में हिस्सेदार बनना चाहती है. राजदूत ने कहा कि सऊदी अरब इसके अलावा भारत में निवेश के दूसरे अवसरों की तलाश में है. उन्होंने सऊदी अरब में हाल के श्रम सुधारों का जिक्र किया. साथ ही कहा कि इससे भारत और सऊदी अरब के आर्थिक संबंधों को पुख्ता करने में मदद मिलेगी.
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