मित्र सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा विधि:
मित्र सप्तमी के दिन भोर में ही निद्रा को त्यागकर नियकर्म और स्नान निपटा लेने के बाद पवित्र सरोवर (नदी या जलाशय) में जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो घर के ही आंगन या ऐसे किसी खुले भाग में जहां से सूर्य देव के दर्शन होते हों में एक पैर के आधा भाग को उठाकर लाल रंग के चन्दन, लाल फूल, चावल को तांबे के बर्तन में रखकर सूर्य देव को अंजलि से 3 बार अर्घ्य देना चाहिए.
आज दोपहर के समय सूर्य देव को केवल एक बार अंजलि से अर्घ्य देना चाहिए और शाम के समय भूमि पर आसन लगाकर बैठ जाएं और इसके बाद अंजलि से सूर्य देव को तीन बार अर्घ्य दें. इस बात का बेहद ख्याल रखें कि अर्घ्य का जल पैर से न लगे.सूर्य देव की स्तुति:
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
‘विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत- इस प्रकार इक्कीस नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सदा प्रिय है।’ (ब्रह्म पुराण : 31.31-33) (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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