दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से जारी किए गए आदेश में सेबी और बीएसई को कहा गया है कि वो कानून के हिसाब से काम करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है, लेकिन अमेज़न को अथॉरिटीज को कोई एक्शन लेने के लिए पत्र लिखने के लिए नहीं रोका जा सकता, अमेज़न किसी भी अथॉरिटी को पत्र लिखने के लिए स्वतंत्र है.
आपको बता दें इससे पहले ये मामले सिंगापुर कोर्ट में था. सिंगापुर की कोर्ट के रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप डील पर रोक के फैसले के खिलाफ फ्यूचर रिटेल ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसके बाद उनकी याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप की रिलायंस के साथ सौदे को सही माना है. फ्यूचर रिटेल ने दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगाई कि अमेजन के इस सौदे में हस्तक्षेप पर रोक लगाई जाए.
लिखा गया था पत्रअमेजन ने कुछ समय पहले सिंगापुर की अदालत का हवाला देते हुए बीएसई और सेबी समेत कई अथॉरिटी को लेटर लिखा था, जिसमें RIL-FRL सौदे को मंजूरी नहीं देने की मांग की गई थी.
बता दें कि अमेजन के पास फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड के साथ-साथ फ्यूचर रिटेल की भी 7.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है. गौरतलब है कि इस डील से अमेजन को भारतीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा गहराने का डर है, क्योंकि अमेजन का दुनियाभर में ऑनलाइन बाजार बहुत विशाल है. जहां लाखों व्यापारी अपने उत्पादों को लाखों लोगों को बेचते हैं. क्या अमेजन का इस डील को रद्द करवाने के पीछे का उद्देश्य ऑनलाइन बाजार में खुद का एकाधिकार स्थापित करना है.
क्यों दाखिल की याचिका?
आपको बता दें रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच में अगस्त में करीब 24,713 करोड़ रुपए का सौदा हुआ था, जिसके तहत फ्यूचर ग्रुप का रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स कारोबार रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड को बेचा जाएगा, लेकिन अमेज़न को इस सौदे को लेकर आपत्ति थी इसलिए अमेजन ने सिंगापुर की कोर्ट में रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप को लेकर याचिका दाख़िल की थी.
क्या है अमेजॉन-फ्यूचर का डील मामला?
बता दे कि पिछले वर्ष अमेजन ने किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 फीसद की हिस्सेदारी खरीदी थी. इस कंपनी के पास फ्यूचर रिटेल की भी 7.3 फीसदी की हिस्सेदारी है. इसी के बिजनेस को किशोर बियानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह को बेचा है. जिसके खिलाफ अमेजॉन ने मध्यस्थता कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
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