मंडी व्यापारी अशोक कुमार का कहना है कि दो साल पहले उसने लहसुन 20 रुपए किलो थोक में खरीद कर 40 रुपए किलो में लहसुन बेचा था. लेकिन इस बार 115 रुपए थोक में खरीदा जा रहा है और 150 रुपए किलो में बेचा जा रहा है. उनका कहना है कि औषधियों में उपयोग के लिए कम्पनियों द्वारा लहसुन बड़े स्तर पर खरीदा जा रहा है जिसके कारण इस बार लहसुन महंगा है.
कोरोना जैसी बीमारियों में फायदेमंद है लहसुन
आयुर्वेद में लहसुन का सेवन बेहद लाभकारी बताया गया है. आयुर्वेदाचार्य डॉ. ओ पी कौशिक का कहना है कि इसे इम्यूनिटी बूस्टर तो माना ही गया है साथ ही वात और कफ का शामक भी माना गया है. उनके मुताबिक लहसुन जीवाणुनाशक और विषाणुनाशक भी होता है. लिहाजा कोरोना जैसी विषाणुजनित बीमारियों से बचाव और इलाज में लाभकारी साबित होता है. डॉ. ओ पी कौशिक के अनुसार आयुर्वेद में 6 प्रकार के रस बताए गए हैं. इनमें से लहसुन में 5 प्रकार से रस पाए जाते हैं. इसके साथ ही लहसुन एंटी ऑक्सीडेंट भी है और हृदय रोग और रक्तचाप जैसी समस्याओं में लाभदायक है. औषधि के रूप में लहसुन का प्रयोग लम्बे समय से होता आया है और कोरोना काल में इसके उपयोग में बढ़ोतरी हुई है.हाड़ौती में बड़े स्तर पर होती है पैदावार
राजस्थान में हाड़ौती क्षेत्र में बड़े स्तर पर लहसुन की खेती की जाती है. कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में लहसुन की खेती की जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक लहसुन की डिमांड करीब 30 फीसदी तक ज्यादा बढ़ गई है. इसके चलते किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं और जिन कारोबारियों ने लहसुन का स्टॉक कर रखा है वो भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. लहसुन की बढ़ी डिमांड और अच्छे भाव के चलते किसान भी लहसुन की खेती को तवज्जो दे रहे हैं.
इस बार प्रदेश में करीब 6 लाख मीट्रिक टन लहसुन की पैदावार का अनुमान
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार लहसुन की बुवाई एक लाख हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में की जा चुकी है जबकि पिछले साल करीब 91 हजार हैक्टेयर में ही लहसुन बोया गया था. इस बार प्रदेश में करीब 6 लाख मीट्रिक टन लहसुन की पैदावार का अनुमान है जो किसानों को अच्छे दाम दिलायेगा.
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